वैज्ञानिकों ने ऐसी तकनीक ईजाद कर लेने का दावा किया है, जिसके जरिये अब मानव मूत्र से भी बैटरी को चार्ज किया जा सकेगा। स्टेंडफोर्ड विवि के वैज्ञानिकों का कहना है कि इंसान की पेशाब में कुछ ऐसे रसायन होते हैं, जो सस्ती दर पर ऊर्जा उपलब्ध करा सकते हैं।
इस तकनीक को ईजाद किया है स्टेंडफोर्ड विवि के रसायनशास्त्र के प्रोफेसर होन्गजी दाई और माइकल एंजेल ने। इन्होंने जो बैटरी तैयार की है, वह गैर ज्वलनशील है और एल्युमीनियम व ग्रेफाइट इलेक्ट्रोड से तैयार की गई है। जाहिर है कि ग्रेफाइट इलेक्ट्रोलाइट का मुख्य घटक यूरिया है, जो मानव मूत्र में कुछ मात्रा में पाया जाता है
दाई का कहना है कि इस तकनीक के जरिए हम धरती पर प्रचुर मात्रा में सबसे सस्ती ऊर्जा बैटरी के जरिये पा सकते हैं। उनका कहना है कि इंसान के यूरीन में कुछ कैमिकल मिलाकर उसमें ऊर्जा का संचार किया जा सकता है। इनका कहना है कि इन्होने एक ऐसा मिश्रण बनाया है जो LED लाईट को चला सकने में सक्षम है।
उनका दावा है कि इंसान के पेशाब की मदद से बनाई गई ऊर्जा से एक फोन की बैटरी भी चार्ज की जा सकती है। शोधकर्ताओं का कहना है कि जो इंसान शराब पीता है यानी जिसके यूरीन में Alcohol पाई जाती है, वह ऊर्जा बनाने में ज़्यादा काम आता है।n
इस तकनीक को ईजाद किया है स्टेंडफोर्ड विवि के रसायनशास्त्र के प्रोफेसर होन्गजी दाई और माइकल एंजेल ने। इन्होंने जो बैटरी तैयार की है, वह गैर ज्वलनशील है और एल्युमीनियम व ग्रेफाइट इलेक्ट्रोड से तैयार की गई है। जाहिर है कि ग्रेफाइट इलेक्ट्रोलाइट का मुख्य घटक यूरिया है, जो मानव मूत्र में कुछ मात्रा में पाया जाता है
दाई का कहना है कि इस तकनीक के जरिए हम धरती पर प्रचुर मात्रा में सबसे सस्ती ऊर्जा बैटरी के जरिये पा सकते हैं। उनका कहना है कि इंसान के यूरीन में कुछ कैमिकल मिलाकर उसमें ऊर्जा का संचार किया जा सकता है। इनका कहना है कि इन्होने एक ऐसा मिश्रण बनाया है जो LED लाईट को चला सकने में सक्षम है।
उनका दावा है कि इंसान के पेशाब की मदद से बनाई गई ऊर्जा से एक फोन की बैटरी भी चार्ज की जा सकती है। शोधकर्ताओं का कहना है कि जो इंसान शराब पीता है यानी जिसके यूरीन में Alcohol पाई जाती है, वह ऊर्जा बनाने में ज़्यादा काम आता है।n
Manbhawan Pandey